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लिम्का बुक आफ व‌र्ल्ड रिकॉर्ड के लिए नागपुर के दिलीप कर रहे साइकिल पर देश का भ्रमण

53 वर्ष की आयु में 45711 किमी साइकिंलिंग 15 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य, चार राउंड में करेंगे यात्रा पूरी, यह पहला राउंड, मां के देहांत पर ...

53 वर्ष की आयु में 45711 किमी साइकिंलिंग 15 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य, चार राउंड में करेंगे यात्रा पूरी, यह पहला राउंड, मां के देहांत पर बीच रास्ते में ही दी श्रद्धाजंलि

बाप न्यूज़ |दुबली पतली कदकाठी के 53 वर्षीय दिलीप लिम्का बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड के लिए तिरंगे की छोटी छोटी झंडियो से सजी साइिकल पर देश का भ्रमण करने निकले है। इस उम्र में उनका लक्ष्य 45711 किमी साइकिल चलाना है। इसके लिए वह चार राउंड करेंगे। महाराष्ट्र के नागपुर निवासी दिलीप ने जब साइकिल यात्रा शुरू की थी तब तीन साथी और साथ थे, लेकिन वे बीच रास्ते में वापिस लौट गए। लेकिन दिलिप ने हिम्मत नहीं हारी। मां का आर्शीवाद लेकर घर से निकले दिलीप की मां का भी इस दौरान देहांत हो गया, लेकिन बीच रास्ते ही उन्हे श्रद्धाजंलि देकर दिलीप यात्रा जारी रखी। करीब दो माह में 5 हजार की साइकिलिंग कर बाप पहुंचे दिलीप ने बताया कि उन्हाेने यह यात्रा नागपुर से 26 जनवरी 2022 को शुरू की है। वे वे नेशनल और महाराष्ट्र मास्टर एथलेटिस खिलाड़ी तथा भरत मलिक क्रीड़ा मंडल नागपुर के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा नागपुर नगर पालिका में नौकरी भी करते है। इस उम्र में गिनीज बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड और लिम्का बुक आफ व‌र्ल्ड रिकार्ड के लिए 45,711 किलोमीटर की यात्रा साइकिल से पूरी करेंगे। यह पहला राउंड है। इसके बाद तीन राउंड और होंगे। उन्होने बताया कि यह चारों राउंड  13 से 15 माह में पूर्ण करने है। दिलीप यात्रा के दौरान स्वच्छ भारत अभियान, देश के शहीदों को श्रद्धाजंली तथा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पेड लगाओ पेड़ बचाने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देते हुए दे रहे है। 

युवाओं को संदेश – जल्दी उठ करे योगा 

दिलिप ने युवाओं से कहा कि वे सुबह जल्दी उठे तथा योग करे। योग करने से मानसिक रूप से मजबूत होंगे साथ ही स्वस्थ्य भी रहंेगे। योग करने से सदभाव पैदा होंगे कि देश के लिए कुछ करना है। उन्होने बताया कि 45711 किमी की साइकिंलिंग का रास्ता बहुत कठिन है। लेकिन उसे वे हर हाल में पूरा करंेगे। बीच रास्ते में मिल रहे लोगों से उसका हौंसला बढ रहा है। राजस्थान में तेज गर्मी की वजह से रास्ता कठिनाईयों से भरा है। किंतु वे हिम्मत नहीं हारेंगे। यह लक्ष्य पूर्ण कर लिया तो बहुत बड़ा लक्ष्य होगा। रास्ते में गाइड करने के लिए दिलिप ने आमजन से सहयोंग करने की अपील भी की है। 

मां ने कहा था कामयाब होकर लौटना, वह मां चल बसी

अपनी मां को याद कर थोड़ा नर्वस सा दिखे दिलिप ने कहा कि वह मां का आशीर्वाद लेकर घर से निकला था। उस दौरान मां ने उसे आशीर्वाद देकर कहा था कि - ‘कामयाब होकर ही लौटना’। लेकिन यह आशाीर्वाद देने वाली उसकी मां 22 फरवरी को चल बसी। वह घर नहीं जा पाया। बीच रास्ते में ही मां को स्मरण कर श्रद्धाजंलि दी तथा पथ पर आगे बढ़ रहा हुं। बाप से बीकानेर के लिए रवाना हो गए।