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वेतन निर्धारण में नियमों की गलत व्याख्या को लेकर जताया विरोध

बाप न्यूजू : अशोक कुमार मेघवाल | राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय जिला फलोदी ने वेतनमान में तृतीय श्रेणी अध्यापक/प्रबोधक के पे-बैंड और ग्रेड पे...

बाप न्यूजू : अशोक कुमार मेघवाल | राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय जिला फलोदी ने वेतनमान में तृतीय श्रेणी अध्यापक/प्रबोधक के पे-बैंड और ग्रेड पे में संशोधन कर उसमें रही विसंगतियों का निस्तारण करने को लेकर प्रदेशमंत्री रवि आचार्य के नेतृत्व में माध्यमिक शिक्षा के वितीय सलाहकार बीएल सर्वा एवं वेतन विसंगति निस्तारण कमेटी सदस्यों से मिलकर विस्तृत चर्चा की वेतनमान में रही विसंगतियों को लेकर शिक्षको का पक्ष रखा। संगठन के प्रदेश मंत्री रवि आचार्य एवं शिक्षक नेता रामप्रकाश तिवारी ने शिक्षा विभाग से जुड़े लेखा एवं कमेटी सदस्यों को अवगत करवाया की 28 जून 2013 को शिक्षा विभाग राजस्थान द्वारा भटनागर समिति की सिफारिश पर छठे वेतनमान में तृतीय श्रेणी अध्यापक/प्रबोधक के पे-बैंड और ग्रेड पे में संशोधन कर उसे 1 जुलाई 2013 से लागू किया गया था ।  और पे-बैंड में केवल ग्रेड पे के अन्तर का ही लाभ दिया गया, 2012 में नियुक्त कार्मिक को 12900 से मूल  वेतन दिया गया लेकिन 2007, 2008 एवं 2009 में नियुक्त कार्मिकों को 3600 -2800=800 रूपये का ही लाभ दिया गया। ज्ञापन में बताया गया कि 2007 में लगे 8370-3600 = 11970 अध्यापक को वार्षिक वेतन वृद्धि जो राज्य सेवा करने पर मिलती वेतन मानकर आज तक वेतन की गणना हो रही है। जबकि 8370 मे वार्षिक वेतन वृद्धि भी शामिल कर लिया गया है, जिसे 2007 में लगे को 9300 आज तक भी नहीं दिया गया है। 
आज तक भी  8370-9300 का फिटमेट भी नही किया। वेतन विसंगति की समीक्षा में संगठन का मानना है कि 2007, 2008, 2009 में नियुक्त हुये तृतीय श्रेणी अध्यापक / प्रबोधक जो भी छठे वेतनमान के अनुसार पहले पे बैंड 5200-20200 तथा ग्रेड पे 2800 में नियमित हुये थे तथा उसी वेतनमान में 1 जुलाई 2013 में संशोधन किया गया था तो वो पूरी तरह से ही 2007, 2008 एवं 2009 में लगे शिक्षकों के लिये संशोधित हुआ है लेकिन वित्त विभाग की त्रुटि के कारण केवल ग्रेड पे अन्तर ( 2800-3600 में 800 रुपये का ही लाभ दिया गया जबकि पे-बैंड 5200 -20200 से 9300-34800 का लाभ सम्बधित शिक्षको तथा प्रबोधकों को आज तक नही दिया गया है। जबकि एक ही वेतनमान में एक ही पद के लिये दो प्रकार के न्यूनतम वेतनमान (मूल वेतन) बेसिक कभी भी नही हुई है, जो मूल वेतन का निर्धारण और वार्षिक वेतन वृद्धि 1 जुलाई 2013 से 11970 मूल वेतन को आधार मानकर किया जा रहा है। तथा 2012 में नियुक्त अध्यापक के 12900 मूल वेतन को आधार मानकर किया जा रहा है। 
एक ही पद के लिये एक ही वेतनमान में अलग-अलग मूल वेतन के हिसाब से वेतन का निर्धारण किया जा रहा है जो 2007, 2008 एवं 2009 में लगे शिक्षकों/प्रबोधकों के साथ घोर अन्याय है। इस संबंध में वित्त विभाग आंखें बंद किये हुए है और वित्त विभाग अपनी गलती को छुपाने के लिये राज्य सरकार से भी पिछले आठ साल से तथ्यों का को छुपाता आ रहा है। विधानसभा में इसी विषय को पूछने पर वित्त विभाग आज तक ही गलत तथ्य देता आया है कि 2007, 2008 एवं 2009 में लगे किसी भी अध्यापक का न्यूनतम वेतन 12900 से कम नहीं था। क्योंकि उक्त अध्यापकों की तो 11970 बेसिक से ही गणना की जा रही है। और उक्त कार्मिकों को जो प्रतिवर्ष की सेवा पर वार्षिक वेतन वृद्धि मिलती है उसको भी बेसिक में जोड़कर गलत सूचना से विधानसभा तथा राज्य सरकार को भ्रमित किया जा रहा है कि 1 जुलाई 2013 को सभी कर्मचारियों का मूल वेतन 12900 से कम नही है। 2007, 2008 एवं 2009 में लगे अध्यापकों/ प्रबोधकों की प्रतिवर्ष की वार्षिक वेतनवृद्धि से बढ़ी मूल वेतन को जोड़कर झूठ बोला जा रहा है कि इनको 12900 का लाभ दिया जाना बताकर गुमराह करने का प्रयास वित्त विभाग कर रहा है। उक्त कार्मिकों को केवल ग्रेड पे के अन्तर का लाभ ही दिया गया है(2800 से 3600-800 रुपये का अन्तर)जबकि पे बैंड 8370 से 9300 का लाभ आज तक भी नही दिया गया है। जिससे 1 जुलाई 2013 से ही 930 रुपये के मूल वेतन का अंतर आज तक चला आ रहा है। वेतन विसंगति को सुधारकर मूल वेतन 11970 से 12900 करवाकर पुनः फिक्सेशन करवाया जाये तथा बेसिक निर्धारित करते हुए प्रोबेशन पूर्ण होने के पश्चात् से ही पे बैंड के संशोधन का लाभ 8370 से 9300 करवाकर पुनः फिटमेंट करवाया जाये। 
शिक्षक नेताओं ने कमेटी को यह भी अवगत करवाया है कि वर्ष 2007 एवं 2008 में नियुक्त शिक्षकों एवं प्रबोधकों को छठे वेतन के अनुसार वेतन स्थिरीकरण के समय बहुत बड़ी त्रुटि रह जाने के कारण इन्हें प्रति माह तीन से चार हजार रुपये का नुकसान हो रहा है, उक्त कार्मिकों का वेतन 12900 रुपए पर निर्धारित करने के बजाय लिपिकीय त्रुटिवश 11170 कर दिया गया जो कि इन कार्मिकों के साथ अन्याय है।शिष्टमंडल ने वेतन विसंगति को समाप्त कर 2007 एवं 2008 में नियुक्त  शिक्षकों एवं प्रबोधको को राहत प्रदान करने की मांग की है। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष अरुण कुमार व्यास,श्याम सुंदर शर्मा, धर्मवीर शर्मा, रामनारायण गोदारा, भीम सेन विश्नोई आदि उपस्थित रहे।