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राधाबाई (शिक्षिका ) बाप गांव की सावित्रीबाई

  गांव के गौरव  सुरेश पालीवाल |   हमने आज तक जितना पढा है। देखा है। जितना भी हमने समझा है.... उसमे पिछले 200 सालों में महिला उत्थान शिक्षा व...

 गांव के गौरव 

सुरेश पालीवाल |  हमने आज तक जितना पढा है। देखा है। जितना भी हमने समझा है.... उसमे पिछले 200 सालों में महिला उत्थान शिक्षा व सशक्तिकरण के मामले में देखा जाए तो, सबसे महत्वपूर्ण घटना घटी व थी  सावित्रीबाई फुले का जीवन।

यह घटना 19 वीं सदी की ब्रिटानिया हुकूमत की,  गुलाम भारत की कहानी। जिसने भारतीय इतिहास में महिला शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर माना जाता है..!

और अब एक दूसरी घटना है..

वह घटना एक आजाद भारत की घटना ...हमारे अपने गांव से जुड़ी हुई घटना ।

और वह घटना है राधाबाई पालीवाल का बाप गांव में एक आदर्श महिला शिक्षिका के रूप में 35 वर्ष से भी अधिक गरिमामय पूर्ण जीवन.....

आजाद भारत के बाद जिस प्रकार का सामाजिक परिवेश तथा पितृसत्तात्मक समाज के मूल्य थे...पुरुषवादी सोच का अस्तित्व था... 

उस कालखण्ड में तत्कालीन  बाड़मेर की दूर देहात गडरा रोड में जन्मी एक बालिका, बालोतरा में प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात महिला शिक्षिका के रूप में अपनी एक नई पहचान कायम करती है।

समय बीता। राधा देवी का विवाह हुआ। उनका ससुराल आगरा यूपी में था। शादी के पश्चात अध्यापिका की पोस्टिंग की नई चुनौतियों को स्वीकार करते हुए वे बाप आये तथा फिर यही के परिवेश में खुद को आत्मसात कर दिया।

उन्होंने 1963 से 1999 तक एक आदर्श शिक्षिका के रूप में अपना कृतित्व का पालन किया।

राधा बाई का स्कूल के प्रति इतना समर्पित व अपनत्त्व भाव था कि उनकी सेवानिवृत्ति के दशकों बाद भी गांव के लोग हाई स्कूल के पास वाली प्रारंभिक स्कूल जहां वर्तमान सीनियर बालिका स्कूल संचालित होती है। उसी स्कूल में राधाबाई जी ने अपनी अध्यापिका के रूप में सेवाएं दी। उस स्कूल को गांव के लोग आज भी  'राधाबाई जी की स्कूल' के नाम से जानते हैं।

किसी भी व्यक्ति के जीवन में यह बहुत बड़ी उपलब्धि होती हैं, की जिस संस्था में आप कार्य करते है। आपका नाम उस बिल्डिंग की पहचान का पर्याय बन जाए...!

राधा बाईजी उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों में शामिल है जिन्हें यह गौरव प्राप्त है।

राधा बाई जी शिक्षिका सेवा से सेवानिवृत्ति के पश्चात वर्ष 2000 से 2005 तत्कालीन सरपंच श्री स्व. राधेश्याम पालीवाल के कार्यकाल के दौरान वार्ड पंच भी रही। 

उनका जीवन का यह राजनीतिक कालखण्ड भी एक सफल नेत्री के रूप स्मरण किया जाता है।

बाप गांव की प्रारम्भिक महिला शिक्षिकाओं की सूची में प्रथम सरपंच श्रीराम पालीवाल की धर्मपत्नी ने भी अध्यापन कार्य किया। बाद में उन्होंने अध्यापन कार्य छोड़ दिया..

लेकिन इस क्रम में लगातार 35 वर्षों तक ससम्मान सेवानिवृत्ति तक अध्यापन कार्य करने वाली प्रथम शिक्षिका के रूप हमेशा स्मरण किया जाएगा।

 28 मई 2021 को उनका निधन हो गया..

ये उनके केवल देह का अवसान है। उनका जीवन उनके विचार आने वाली कई पीढ़ियों तक हमारे लिए प्रेरणा पुंज का कार्य करते रहेंगे।

सादर श्रद्धांजलि