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पंचायती राज दिवस एक सापेक्ष पहलू : प्रतापसिंह टेपू

Article :    आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है। राष्ट्र की ग्रामीण संसद और विकास के मायनों की प्रगति का लेखा-जोखा है। राजनीति का शुरूआती स...


Article :  आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस है। राष्ट्र की ग्रामीण संसद और विकास के मायनों की प्रगति का लेखा-जोखा है। राजनीति का शुरूआती सोपान पंचायती राज है। योजनाओं, विकासनीति और ड्रीम प्रोजेक्ट का धरातल यही है।

मैं 5 वर्ष तक इस पंचायती राज व्यवस्था का हिस्सा रहा। सरपंच राजनीति, विकास, योजनाओं, सपनों और सभी को साथ लेकर चलने का मजबूत स्तम्भ है। 

गाँव का विकास करने के लिए नेतृत्व का शिक्षित होना जरूरी है। साथ ही साथ राजनीतिक एप्रोच, योजनाओं का चयन, सभी का संतुलित सहयोग, प्रशासनिक एप्रोच, फील्ड वर्क और एकता सबसे जरूरी पहलू है।

शिक्षा, स्वास्थ्य, जल प्रबंधन, कृषि-विपणन, परिवहन पथ, बिजली, हाथ करघा उद्योग, सरकारी जमीन का रख-रखाव, योजनाएँ बनाना और लागू करवाना, वार्डपंच से सांसद तक सीधी पहुँच और सारगर्भित संवाद, मीडिया और अधिकारियों से मधुर सम्बन्ध, पंचायती राज कर्मचारियों से संतुलित तालुकात, शिक्षकों और चिकित्सा क्षेत्र के कर्मचारियों, चिकित्सकों एवं गाँव के मौहजीज बुजुर्गों से मशविरा... इन आवश्यक बिन्दुओं पर सरपंच को सोचना,विचारना और लागू कर,क्रियान्वयन आवश्यक है।

ग्रामीण राजनीति में सबसे पहले एकता बरकरार रखना जरूरी होता है। मैंने मेरे सामने चुनाव लडे़ मित्र से कभी दुराव, दुर्भाव नहीं रखा। न उसके समर्थकों को हाशिए पर रखा। कार्य भार ग्रहण करने के बाद पहला बजट वहाँ लगाया,जो मेरे विरूद्ध थे। सामने चुनाव लडे़ साथी को ग्राम सेवा सहकारी समिति का निर्विरोध अध्यक्ष बनाकर मैत्रीपूर्ण वातावरण बनाए रखने का प्रयास किया।

योजनाएँ इस प्रकार से बनाएँ कि गाँव का विकास और सुचारू हो सके। कृषि केन्द्र, साइंस व कॉमर्स फैकल्टीज, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, पशु अस्पताल, ग्राम सेवा सहकारी समिति, जल-प्रबंधन योजना, पुस्तकालय भवन, ओरण-गोचर भूमि संरक्षण , शिक्षा भवन, बडे़ स्तर पर पेंशन व्यवस्था...ये कुछ ऐसे कार्य थे,जो मेरे सपने थे,गाँव की आवश्यकता थे,पूर्व में किसी ने छूए नहीं और भविष्य में न ऐसी उम्मीद थी। जब ग्रामीण दायरों की सोच सरकारी हॉल और मनरेगा ग्रेवल सड़कों तक सीमित थी, ऐसे संकुचित दौर में ये दायरे बढाना कठिन तो था ही.., आवश्यक भी था। 
ग्रामीणों के सकारात्मक सहयोग, वार्डपंचों के साथ और शीर्ष राज-नेताओं के साथ ने दायरे भी बढाए और क्रियान्वयन कर,सफलताएँ भी सुनिश्चित कीं।

मैं निजी मत से पारदर्शी राजनीति का समर्थक हूँ। गाँव की राजनीति में समाजनीति को जोड़कर, विकास और उत्थान को छूने का भरसक प्रयास करें... यही शुभचाहनाएँ हैं।

(Bap News के लिए प्रतापसिंह टेपू एडवाेकेट की कलम से)