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लुप्त होती संगीत कला को संजोने का सपना, पद्मश्री लाखा खान ने रखी उच्च अधिकारियों के सामने अपनी पीड़ा

पद्मश्री लाखा खान को बड़ा मलाल - 'मैं मेरे जीवन मे सिंधी सारंगी का वादक तैयार नही कर सका' बाप न्यूज़ |  केंद्र एवं राज्य सरकार देश मे...

पद्मश्री लाखा खान को बड़ा मलाल - 'मैं मेरे जीवन मे सिंधी सारंगी का वादक तैयार नही कर सका'
बाप न्यूज़ |  केंद्र एवं राज्य सरकार देश मे लुप्त हो रही संगीत कला के लिए बहुत प्रयासरत है, मगर जोधपुर जिले के कलाकार इन सुविधाओं से वंचित है। जिसके कारण चाह कर भी संगीत के स्वरों को ताल नही मिल रही है। जोधपुर जिले के बाप उपखण्ड के राणेरी ग्राम निवासी 75 वर्षीय पद्मश्री लाखा खा मंगनियार ने अपने मन की पीड़ा उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रकट करते हुए इस आशय का पत्र भेजा है।
बाप. पद्मश्री लाखा खान मंगणियार
पद्मश्री लाखा खां ने लिखा कि संगीत कला जीवित रहनी चाहिए। अगर समय रहते संगीतकारो को उचित सम्मान नही मिला, तो कई संगीत की स्वर लहरी केवल रिकार्डिंग ही सुनने को मिलेगी। लाखा खां ने अपनी पीड़ा को बताते बताया कि बहुत सारे परिवार संगीत की कला में माहिर है। उनका रोजगार, परिवार भरण पोषण भी उसी के माध्यम से होता है। उन्होने बताया की बाप ब्लॉक में कानासर, राणेरी, टेपु, टेकरा, धोलिया, बारू, शेखासर में 120 से अधिक परिवार संगीत कला में माहिर है। मगर उचित संरक्षण नही मिलने के कारण उनकी कला लुप्त हो रही है। चिंता इस बात की है कि दूसरी पीढ़ी तैयार नही हो रही। 
उन्होने रुआंसे गले से कहा कि मैं मेरे जीवन मे सिंधी सारंगी का वादक तैयार नही कर सका। देश में सिंधी प्यालेदार सारंगी 27 तार वादक अब बहुत कम रहे है। पद्मश्री खान ने मुख्यमंत्री को भी भेजे अपने 4 सूत्री मांग पत्र मे सभी सीनियर स्कूलों में संगीत विषय अनिवार्य करने, हर विद्यालय में संगीत का अध्यापक लगाने, 3 संगीत कला में माहिर कलाकारों को उचित सम्मान मिलने, उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करवाने, ब्लॉक स्तर पर संगीत कला भवन बनाने ताकि वंहा संगीत प्रेमी अपनी प्रस्तुति भी दे सके, की मांग रखी है। पत्र में लिखा कि संगीत के बिना जीवन नीरस है। संगीत में वह जादू है, जो बीमार व्यक्ति को बिना दवा स्वस्थ कर देता है।