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नानी बाई का मायरा कथा देती है सेवा, सहयोग और समर्पण की सीख : पंडित जुगल किशोर पुरेाहित

गोवंश की सेवार्थ यंहा माहेश्वरी भवन में चल रहा तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरा कथा का हुआ समापन बाप न्यूज |  बाप कस्बे में स्थित ऋषि गोपाल गोश...


गोवंश की सेवार्थ यंहा माहेश्वरी भवन में चल रहा तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरा कथा का हुआ समापन
बाप न्यूजबाप कस्बे में स्थित ऋषि गोपाल गोशाला के गोवंश की सेवार्थ यंहा माहेश्वरी भवन में चल रहा तीन दिवसीय नानी बाई रो मायरा कथा का समापन गुरूवार को हुआ। अंतिम दिन कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ रही। कथा वाचक पंडित जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि यह कथा सेवा, सहयोग और समर्पण की सीख देती है। कथा में सहयोग की भावना होनी चाहिए । क्योंकि सनातन धर्म को जीवित रखना है तो हमें एकजुटता मिलाकर ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों करना जरूरी है। नरसी मेहता में भगवान के प्रति सहयोग व समर्पण की भावना थी। उन्होंने नरसी मेहता व श्रीकृष्ण के बीच हुए रोचक संवाद को प्रस्तुत किया। गोभक्त मनोज लोहिया ने बताया कि कथा के अंतिम दिन गुरूवार को सबसे विशेष भाग मायरे का वर्णन हुआ। इसमें श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त नरसी मेहता की पुत्री नानी बाई के लालची ससुराल में आयोजित कार्यक्रम में मायरा भरने स्वयं श्रीहरि द्वारा उपस्थित होकर अपने भक्त की लाज रखने और करोड़ों रुपए का मायरा भरने की कथा का पंडित जुगल किशोर पुराेहित द्वारा संगीतमय वर्णन किया गया। नानी बाईरो मायरो कार्यक्रम के अंतिम दिन को भगवान श्रीकृष्ण  ने छप्पन करोड़ का मायरा भरा। नरसी भक्त ने भी कड़ी तपस्या कर भगवान को याद किया, उनको आना पड़ा और श्रीकृष्ण ने छप्पन करोड़ का मायरा भी भरा। भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त नरसी मेहता ने जब अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया तब उन्हें भगवान का साक्षात्कार हुआ। हमें भी लोभ, लालच व मोह का त्याग कर भगवान के प्रति समर्पण भाव से भक्ति करनी चाहिए। मनुष्य की तृष्णा कभी शांत नहीं होती, तृष्णा शांत हो जाए, तब ही प्रभु मिलन संभव है।