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अनपढ़ मां का सपना हुआ साकार, तीनों संतानों का राजकीय सेवा में हुआ एक साथ चयन

संघर्षशील मां के छलके आंसू, पति के देहांत के बाद थी बच्चों के परवरिश की चिंता, आज तीनो भाई बहिन बने अध्यापक बाप न्यूज़ : रमन दर्जी | अध्यापक...


संघर्षशील मां के छलके आंसू, पति के देहांत के बाद थी बच्चों के परवरिश की चिंता, आज तीनो भाई बहिन बने अध्यापक
बाप न्यूज़ : रमन दर्जी | अध्यापक भर्ती 2022 का परिणाम मीरा देवी के लिए तिगुनी खुशियां लेकर आया। उनकी तीनो संतानों ने अध्यापक भर्ती में एक साथ चयनित होकर बाप कस्बे में एक नया कीर्तिमान रच दिया। मीरादेवी को अपने तीनों बच्चों को कामयाब बनाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। उसके पति लीलाधर का 1999 में आकस्मिक निधन हो गया था। उस उनका बड़ा बेटा दुर्गाप्रसाद 5 साल का तथा दूसरा बेटा रेवतलाल 3 वर्ष का था। पति के निधन के एक माह बाद बेटी ललिता का जन्म हुआ। पति के निधन के बाद टूट चुकी मीरादेवी के सामने बच्चों की परवरिश की बड़ी चिंता थी। मीरादेवी ने कठिन समय का कड़े परिश्रम के साथ सामना किया। उन्होने अपने सास भूरीदेवी के सहयोग खेती व दूध बेच कर बच्चों का पालन पोषण किया। तीनों ही बच्चों की बाप में ही स्कूली शिक्षा पूर्ण करवाई। पारिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को देख बड़े बेटे दुगाप्रसाद ने 2011 में स्कूली शिक्षा पूर्ण करने के बाद पढाई छोड़ बाप से हरियाणा चला गया। वंहा पर मिठाई की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। लेकिन मां के सपने व स्वयं की अध्ययन में रूची के कारण दो साल बाद वह वापिस बाप आ गया तथा पढाई शुरू कर दी। अपनी पढाई का खर्चा निकालने के लिए एक निजी विद्यालय में अध्यापन का कार्य भी प्रारंभ किया। लेकिन छोटे भाई बहन की पढाई का बोझ भी मां पर पुरा नहीं पड़े इसलिए 2016 में ईमित्र भी खोल दिया। 
दुर्गाप्रसाद ने बताया कि उसे छोटे भाई रेवतलाल व बहन ललिता की पढाई को लेकर भी चिंता थी। वह अपने भाई व बहन को भी पढा लिखाकर कामयाब बनाना चाहता था। इसलिए उसने पढाई को निरंतर बनाये रखा। तथा रेवतलाल को बीएससी व बीएसटीसी तथा ललिता को बीए व बीएसटीसी करवाई। इस बड़े समय अंतराल के दौरान दुर्गाप्रसाद ने भी कांस्टेबल, पटवारी, एलडीसी, शिक्षक भर्ती 2018 की प्रतियोगी परिक्षाएं दी, लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हुई। वर्ष 2021 की शिक्षक भर्ती की तैयारी तीनों भाई बहन ने की। लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया। शिक्षक भर्ती 2021 की घोषणा होने के पश्चात दुर्गाप्रसाद ने मां के कहे अनुसार अपने छोटे भाई व बहिन को जोधपुर पढ़ने के लिए भेज दिया। स्वयं ने मां के साथ गांव में रहकर खेती, पशुपालन व व्यवसाय के साथ अपने स्वयं के लिए भी कुछ समय निकाला तथा पढाई की। अध्यापक भर्ती 2022 की परीक्षा से एक माह पहले ई मित्र बंद रखने के साथ घर के अन्य काम को छोड़ केवल पढाई पर ध्यान दिया। इस बार किस्मत व भाग्य ने साथ दिया। तीनों भाई बहन ने एक साथ अध्यापक भर्ती 2022 में चयनित होकर अनोखा रिकॉर्ड बना दिया। परिणाम आने पर मां के साथ तीनों भाई बहनों के आंखों में खुशी की आंसू थे। गांव में ऐसा कीर्तिमान पहली बार बना। ग्रामीणों में भी खुशी है। इस बार अध्यापक भर्ती 2022 के परिणाम में बाप कस्बे से एक दर्जन से ज्यादा युवाओं का चयन हुआ है।